Raksha Bandhan 2023 Date 30 August Or 31 August?

Rakhi 2023 Date 30 Or 31 Aug। कब है इस साल रक्षाबंधन 30 या 31 August? Shubh Muhurat।Rituals & More।

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रक्षाबंधन का त्योहार सदियों से भारतीय लोगों का हिस्सा रहा है। यहां रक्षा बंधन का मतलब बांधने वाले एक ऐसे धागे से है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के सर पर तिलक लगाकर जीवन के हर संघर्ष पर उनके सफल होने तथा निरन्तर पथ पर आगे रहने की भगवान से प्रार्थना करती हैं। भाई इसके बदले अपनी बहनों की हर तरह की मुसीबत से रक्षा करने का वचन देते हैं और उनके धर्म एवं मर्यादा की रक्षा करने का वचन लेते हैं।



क्यों मनाते है रक्षा बंधन ? 


रक्षाबंधन मनाए जाने के विषय में अनेक ऐतिहासिक तथ्य का वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि देवराज इंद्र कई बार राक्षसों से परास्त होते रहे। वह हर बार राक्षसों से देवताओं की हार से दुखी हो गए। इसके बाद इन्द्राणी ने करी तपस्या की और अपने तप के बल से एक रक्षा सूत्र तेयार किया। यह रक्षा सूत्र इन्द्राणी ने इन्द्र की हाथ के कलाई पर बांधा। तप के बल से मिली इस रक्षा सूत्र की ताकत से इन्द्र राक्षसों को हराने में सफल हुए। तब से रक्षाबंधन पर्व शुरू हुई मानी जाती हैं


एक वर्णन यह भी है कि भगवान विष्णु जी ने वामन अवतार लेने के बाद ब्राह्मण का रूप धारण कर अपनी दानशील चरित्र के लिए तीनों लोकों में विख्यात राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि के मांग को स्वीकार कर लिए जाने पर भगवान विष्णु के रूप में बामन ने अपने पग से सम्पूर्ण पृथ्वी को मापते हुए राजा बलि को पाताल में भेज दिया। कहा जाता है उसी याद में रक्षाबंधन पर्व मनाया गया।


 रक्षाबंधन पर्व से ऐतिहासिक बातें भी जुड़े हैं। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इस पर्व की शुरुआत मध्यकालीन युग से भी मानी जाती है। भारतीय इतिहास ऐसे बातों से भरा पड़ा है, जब कोई योद्धा अपनी जान की बाजी लगाकर युद्ध क्षैत्र में जाते थे तो उनके बहनें उनकी आरती उतारकर हाथ के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती थीं।उनसे राष्ट्र की रक्षा का वचन भी कराती थीं।


वहीं चित्तौड़ की महारानी कर्मावती का वर्णन तो इस संबंध में विशेष रूप से वर्णित है। कहा जाता है कि जब गुजरात शासक बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया तो महारानी कर्मावती ने हुमायूं को रक्षासूत्र में रक्षा का पैगाम भेजवाया।भाई मानते हुए उनसे अपनी रक्षा की मांग की। हुमायूं यह रक्षा सूत्र और संदेश पाकर भाभुक हो उठा और अपनी अनदेखी बहन के प्रति अपना कर्म निभाने तुरन्त अपनी विशाल सैन्य लेकर चित्तौड़ की ओर निकल परा लेकिन जब तक वह चित्तौड़ पहुंचते,तब तक रानी कर्मावती और चित्तौड़ की कई वीरांगनाएं अपने धर्म की रक्षा करते अपने शरीर को अग्नि में दे चुकी थीं। उसके बाद हुमायूं ने रानी कर्मावती की चिता की अस्थि से अपने माथे पर टीका लगाकर बहन के प्रति अपने कर्म को पूरा करने के लिए जो कुछ किया, वह इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षर में दर्ज हो गया तथा इसी के बाद रक्षाबंधन पर्व इतिहास में न भूलने वाला अध्याय भी जुड़ गया। इस ऐतिहासिक घटना के बाद यह परम्परा हो गई कि कोई महिला या युवती किसी व्यक्ति को रक्षासूत्र बांधती है तो वह व्यक्ति उसका भाई माना जायेगा




रक्षाबंधन को किन किन नामों से जानते है?


बताना चाहेंगे कि रक्षाबंधन को और भी नामों से जाना जाता है जिनके बारे में कम ही लोगों को पता होगा। रक्षाबंधन को पश्चिम में बंगाल की ओर गुरु महा पूर्णिमा ,नेपाल की ओर इसे जनेऊ पूर्णिमा और दक्षिण में नारियल पूर्णिमा के भी नाम से भी जानते है।




किस दिन मनाते है रक्षाबंधन ?


बताना चाहेंगे कि यह हर वर्ष सावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जिसमे भाई की कलाई पर बांधने इन्हीं कच्चे सूत से पक्के रिश्ते बनते हैं। स्नेह का सूचक यह भाई ओर बहन को पवित्र स्नाहिक के बंधन में बांधने की यादगार दिवस है। इस पर्व को भारत के कई भागों में श्रावणी के नाम से जानते है।इस बार पूर्णिमा की तिथि 30 अगस्त 2023 बुधवार शाम से शुरु होकर अगले दिन तक 31 अगस्त 2023 गुरुवार तक रहेगी जिसके कारण से पिछली बार की तरह रक्षाबंधन दो दिन मनाया जाएगा आइये जानते हैं इस साल रक्षा सूत्र बांधने का शुभसमय क्या है?




Raksha Bandhan 2023 Date । कब है इस बार रक्षाबंधन 30 या 31 अगस्त ।


इस साल रक्षाबंधन का शुभ मूहर्त क्या है?(Rakhi Bandhne Ka Shubh muhurat )


इस साल 30 अगस्त यानि बुधवार के पूरे दिन भद्रा रहेगा जिस कारण अगर 30 अगस्त के दिन राखी बांधना चाहते हैं तो रात 9:03 मिनट के पश्चात राखी बंधाया जा सकता हैं 31 Aug सुबह 07:06 मिनट तक शुभ मूहर्त हैं इसके पूर्व सभी राखी बांध सक ते हैं.

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