Janmashtami Date 2023,शुभ मूहर्त ,पूजा विधि और अन्य..

 Janmashtami Date 2023,शुभ मूहर्त ,पूजा विधि और अन्य मूहर्त

इस article में निम्न बातों के बारे में चर्चा की गई हैं

1.जन्माष्टमी पर्व की पूजा विधि क्या हैं
2.जन्माष्टमी कब और क्यों मनाया जाता हैं जन्माष्टमी मनाने से क्या लाभ होता है
3.भगवान श्री कृष्ण जी का 5250वाँ जन्मोत्सव कब है जन्माष्टमी 2023 में कब है
4.2023 में जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या हैं
5.धर्म शास्त्र के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पारण का शुभ समय क्या हैं





जन्माष्टमी पर्व की पूजा विधि क्या हैं


हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है साथ ही साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिरो को खासकर वृन्दावन और मथुरा जैसे स्थानों पर विशेष रूप से सजाया जाता है उसके बाद विधिपूर्वक द्वारा बाल गोपाल का पंचामृत से अभिषेक कर विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है। साथ ही मध्य रात्रि में भी श्री कृष्ण का भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है ऐसा माना जाता है कि मध्य रात्रि में श्री कृष्ण का भजन कीर्तन करने से जीवन की सभी विपत्ति दूर हो जाती हैं। वहीं कई जगहों पर दही हांडी जैसे विधि का भी भव्य आयोजन किया जाता है।


जन्माष्टमी कब मनाया जाता हैं

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र के अष्टमी के दिन मध्य रात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। इसी अवसर पे रोहिणी नक्षत्र के अष्टमी के दिन मध्य रात्रि के समय जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।2023 में भगवान श्रीकृष्ण जी का 5250वाँ जन्मोत्सव मनाया जाएगा।


जन्माष्टमी मनाने से क्या लाभ होता है

धार्मिक शास्त्रों में बताया है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की विधिवत पूर्वक पूजा करने से और व्रत अनुष्ठान का पालन करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की पूजा करने से संतान का सुख प्राप्त होता है और लंबी आयु का सौभाग्य प्राप्त होता है।
भगवान श्री कृष्ण जी को माखन–मिश्री बहुत ही प्रिय है इसलिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को माखन–मिश्री का भोग लगाया जाता है। फिर मध्यरात्रि के समय खीरा काटकर भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म कराने की परंपरा विधि पूर्वक निभाई जाती है। कहा जाता हैं कि इस विधि से पूजा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।




वर्ष 2023 में जन्माष्टमी कब है
janmashtami 2023 mein kab hai

साल 2023 में भगवान श्रीकृष्ण का 5250वाँ जन्मोत्सव मनाया जाएगा। वही साल 2023 में श्री कृष्ण जन्‍माष्‍टमी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति है। इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी है। हिन्दू धार्मिक शास्त्र पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन 6 Sep और 7 Sep 2023 को मनाई जाएगी। ऐसे में 6 Sep 2023 को गृहस्थी वालों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा वही 7 Sep 2023 को वैष्णव संप्रदाय वाले जन्माष्टमी मना सकते हैं।


श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है
(Janmashtami 2023 me shubh muhurat kya hai)


भगवान श्रीकृष्ण का 5250वाँ जन्मोत्सव
श्री कृष्ण जन्माष्टमी बुधवार 06 Sep 2023 को हैं

निशिता पूजा या हिन्दु मध्यरात्रि पूजा का समय - 06 Sep 11:57 PM से 12:42 AM 07 Sep तक

अवधि - 00 hour 46 min

दही हाण्डी का शुभ समय–

दही हाण्डी का शुभ समय Thursday 07 Sep 2023 को मनाया जाएगा।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पारण का समय–

भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता पूजा या हिन्दु मध्यरात्रि पूजा के बाद भी किया जाता है।
और कई स्थानों पर देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर भी पारण किया जाता है।


धर्म शास्त्र के अनुसार पारण का समय

पारण का समय - 07 Sep 2023 04:14 PM के बाद
पारण के दिन अष्टमी तिथि की समाप्ति का समय - 04:14 PM तक
पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र की समाप्ति का समय - 10:25 AM तक


धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक निर्धारित पारण का समय–


पारण का समय - 06:02 AM, 07 Sep के बाद

वर्तमान में समाजिक प्रचलित पारण समय–

पारण समय - 12:42 AM, 07 Sep के बाद


चन्द्रोदय का समय - 10:55 PM


अष्टमी तिथि के प्रारम्भ का समय - 06 Sep, 2023 को 03:37 PM से

अष्टमी तिथि के समाप्त का समय
- 07 Sep, 2023 को 04:14 PM तक

रोहिणी नक्षत्र के प्रारम्भ का समय
- 06 Sep, 2023 को 09:20 AM से

रोहिणी नक्षत्र के समाप्त का समय
-07 Sep, 2023 को 10:25 AM तक



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